कर्मफल के सिद्धांत को केवल साधारण जनमानस के शोषण को दैवीय-न्याय कह कर यथाउचित ठहराने और उनके द्वारा अपने पर हो रहे समस्त अत्याचारों को विधि का विधान मानकर साष्टांग स्वीकार कर लेने तथा इसके प्रतिउत्तर में उनके किसी भी प्रकार के जनआक्रोश को दबाए रख कर हर हाल में चंद सत्तासीन व्यक्तियों के अनुचित अधिकारों की रक्षा हेतू उनको सदमूर्छा में बांधे रखने वाले नशे के तौर पर ही गढ़ा गया है । #कंवल
by अहं सत्य
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