Tuesday, January 3, 2017

Kanwal Speaks - January 03, 2017 at 03:55PM

हिंदुस्तानी सुप्रीम कोर्ट के धर्म के नाम पर वोट मांगने को गैरकानूनी ठहराने वाले फैसले से हिंदुस्तान के अल्पसंख्यकों को सावधान होने की ज़रूरत है क्योंकि इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट के उस पिछले फैसले के हिस्से में ही देखना होगा जहाँ यह ठहराया गया है कि हिंदुत्व धर्म नहीं जीवन पद्धति है, इसका सीधा-सीधा मतलब यह है कि सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्पसंख्यकों के हितों की बात करने वाले राजनीतिक दलों पर और सख़्ती बरती जाएगी, वहीं दूसरी तरफ़ बहुसंख्यक हिंदुत्व का ढिंढोरा पीटने वाले और उसके नाम पर हिंसा और आतंकवाद फैलाने वाले दल इस सबसे सुरक्षित कर दिए गए हैं; असल में हिंदुस्तानी सुप्रीम कोर्ट भी महज़ हिंदूवादी मानसिकता से गर्क हुई संस्था है जो बाहर से इंसाफ़ का सिर्फ छलावा देती है पर यहाँ अल्पसंख्यकों को कभी भी इंसाफ़ नहीं मिल सकता । #कंवल
by अहं सत्य

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