Monday, February 2, 2015

Kanwal Speaks - February 03, 2015 at 10:15AM

रूमानियत है ये या एहसास-ए-रूहानियत कोई, जितना जितना डूबे है सागर उतना उतना गहरा | #कंवल

by अहं सत्य



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