Monday, March 30, 2015

Kanwal Speaks - March 31, 2015 at 01:55AM

धर्मान्धो ! बन्धुयो, तुम्हें किसी ने भी विवश नहीं किया है मेरे साथ रहने और सारा दिन जलते-बुझते रहने के लिये, तुम जब चाहे अपने रास्ते जा सकते हो; पर यदि यहाँ हो तो अपनी पशुता और मूढ़ता पर संयम रखो ... यदि तुम्हारे समस्त धर्मों को मैं केवल गंदे नाले, शास्त्रों को कचरा, प्रचारकों व उदेश्कों को नगरवधुएं और "तथाकथित भगवानों" को जड़ मानता व कहता हूँ तो यह मेरी निजी,धार्मिक तथा अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के अधिकार का उपयोग है; ऐसे ही तुम भी अपने वहाँ स्वतंत्र हो, सो मेरी ऐसी किसी भी अभिव्यंजना पर अपना जिय न जलायो, जब चाहे तुम मुझ से पृथक हो सकते हो, अपना और मेरा दोनों का कल्याण कर सकते हो ... #कंवल

by अहं सत्य



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