सुधार की बात करना इतना कठिन नहीँ और ना ही समाज मेँ सुधार लाने का दंभ भरना कोई दुष्कर कार्य है, पर जब स्वयं के सुधार की चर्चा शुरु होती है तो बड़े बड़े सुधारवादियोँ को भी पसीने छूट जाते हैँ और वो हाथ खड़े कर के भागने पे मजबूर हो जाते हैं । #कंवल
by अहं सत्य
Join at
Facebook
by अहं सत्य
Join at
No comments:
Post a Comment