Thursday, April 30, 2015

Kanwal Speaks - May 01, 2015 at 02:50AM

वो सब खुशफ़हमियाँ थी कंवल तेरी, और चंद पाले मुग़ालते भर तेरे, पानी के बुलबुलों के मानिद, जो इंसान ही बन न पाया कभी, उस से उम्मीद-ऐ-इंसानियत भी रखना, तौहीन-ऐ-इंसानियत ही होगी । #कंवल
by अहं सत्य

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