मज़हब और राष्ट्रवाद दोनों ही मनुष्यता को हिस्सों मेँ बांटते हैँ और फ़िर एक हिस्से को दूसरे हिस्से का पूर्ण नग्न दरिंदगी से भक्षण और दोहन करना सिखाते हैँ, और फ़िर मानवीय संवेंदनायों का शोषण कर अपने इसको कुकृत्य को जायज ठहराने के लिए हर तरह की दलीलेँ घड़ते हैं । #कंवल
by अहं सत्य
Join at
Facebook
No comments:
Post a Comment