जाल बुनने वाले बेखौफ़ हवायों की रफ़तार कब जानते हैं भला; वो जो न बंधती हैं न किसी बंधन को झुक कर मानना जानती हैं; और जब चलती हैं तो ऐसी सारी फ़नाहयाफ़ता रुकावटों को उनकी सब टेकों संग एक पल में उड़ा कर तार-तार कर देती हैं । #कंवल
by अहं सत्य
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