Monday, October 26, 2015

Kanwal Speaks - October 26, 2015 at 07:50PM

एक ही धरती है एक सी बस्तियाँ, बस नफ़रत की चंद सरहदों ने बाँटीं, छूह कर देखो हैं रहते इन्सान, इस पार भी वही और उस पार भी वही । उन्हीं रंग सजीं तहज़ीबें एक सी, गलतियाँ भर वो थी जो यह दीवारें खड़ीं, दिलों में बसे मुहब्बत जो कंवल, फिर गीता भी वही है फातिमा भी वही । #कंवल
by अहं सत्य

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