दो दिनों में दो फ़ैसले, एक तरफ निर्भया कांड और दूसरी तरफ बिलकिस बानो का केस, दोनों में से कौन-सा ज़्यादा बर्बर है यह आँखों पर पट्टी बांधा हुआ या अंधा भी बता सकता है, परंतु हिंदुस्तानी न्यायपालिका के फ़ैसले दोनों में अलग-अलग आते हैं; और 1984 में इस देश की उसी राजधानी दिल्ली और हिंदुस्तान के अलग-अलग भागों में ख़ुद हिंदुस्तानी शासन द्वारा करवाए गए सिखों के निर्मम हत्याकांडों, बलात्कारों और जघन्य अपराधों का 30 साल से भी ज्यादा बीतने के बाद भी कोई इंसाफ़ नहीं है । किसको कितना इंसाफ़ मिलना है यह उसकी जाति, वर्ग, मज़हब, रंग, नस्ल, इत्यादि तय करता है, यही इस न्यायपालिका के दोगली, सांप्रदायिक, नस्लवादी, जातिवादी, शोषणवादी, भ्रष्ट, ज़ालिमाना और अन्यायवादी होने का प्रमाण है ।
by अहं सत्य
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