Monday, July 4, 2016

Kanwal Speaks - July 05, 2016 at 09:49AM

तेरी जन्नत का दरवाज़ा जो मंज़र-ए-हैवानियत से गुज़रता है, मेरी बात छोड़ दे कंवल इंसानियत तमाम तुझ पर शर्मिंदा है । #कंवल
by अहं सत्य

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