Tuesday, March 31, 2015

Kanwal Speaks - April 01, 2015 at 01:08AM

समस्त बल, बुद्धि और सम्पूर्ण सामर्थ्य से संपन्न होते हुए भी अपने शत्रु को क्षमा कर देना सबसे उच्चतम दया है जो कि कोई भी मनुष्य अपने स्वयं के उपर कर सकता है, वो जिस के धारण मात्र से शुद्ध हुए निरछल अंतःकरण में असीम सत्य का दैवीय झरना प्रकुटित हो उठता है, और जिस से नश्वर देह में विराजित आत्मन बुद्धत्व पद को प्राप्त होने का अधिकारी बन जाता है | #कंवल

by अहं सत्य



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