Saturday, March 26, 2016

Kanwal Speaks - March 26, 2016 at 09:22PM

कर्मफल के सिद्धांत को केवल साधारण जनमानस के शोषण को दैवीय-न्याय कह कर यथाउचित ठहराने और उनके द्वारा अपने पर हो रहे समस्त अत्याचारों को विधि का विधान मानकर साष्टांग स्वीकार कर लेने तथा इसके प्रतिउत्तर में उनके किसी भी प्रकार के जनआक्रोश को दबाए रख कर हर हाल में चंद सत्तासीन व्यक्तियों के अनुचित अधिकारों की रक्षा हेतू उनको सदमूर्छा में बांधे रखने वाले नशे के तौर पर ही गढ़ा गया है । #कंवल
by अहं सत्य

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