Thursday, March 5, 2015

Kanwal Speaks - March 05, 2015 at 11:51PM

हैरत है कि खुल गया हर भेद फिर भी धंधा-ऐ-मज़हब बादस्तूर जारी है, कि सोचता हूँ अब तेरी बेशर्मी पे बोलूँ या तुझे सुनने वालों की गैरत पे | #कंवल

by अहं सत्य



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