मैं तो हरामी को हरामी और दरिंदे को दरिंदा ही कहूंगा; सो जिस किसी को भी भाषा बुरी लगती हो वह चाहे तो अपनी नाबालिग बेटी का महीनों तक नोच-नोच कर बलात्कार करने वाले, सिर पर पत्थर फोड़ और कमर तोड़ कर मार देने वाले या फिर अपने नौजवान बेटे के गले में टायर डालकर ज़िंदा जला देने वाले को जितना चाहे "साहेब" और "जी हज़ूर" पुकार कर अपनी कायरता और ज़लील व फरेबी शालीनता का प्रदर्शन करता रहे । #कंवल
by अहं सत्य
Join at
Facebook
No comments:
Post a Comment