Thursday, April 30, 2015

Kanwal Speaks - May 01, 2015 at 02:38AM

उन आँखोँ को नींदें आख़िर नसीब हों भी तो कैसे, सागर-ऐ-दर्द भरे होँ कंवल जिन के सीने मेँ । #कंवल
by अहं सत्य

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