इन धार्मिक, अधार्मिक व सामाजिक ठेकेदारों को आख़िर किसने अधिकार दिया है किसी के निजी खाने, पीने, रहन-सहन, कपड़ों और बिस्तर पर अपने विचार थोपने और दंभी नैतिकता का पैमाना लागू करने का ? हर एक के लंगोट में झांकने वाली विकृत मानसिकता वाले इन स्वयंभू चौधरियों को कचरे के डिब्बे में फ़ेंके बगैर किसी भी समाज की उन्नति नहीं हो सकती । #कंवल
by अहं सत्य
Join at
Facebook
No comments:
Post a Comment