Tuesday, February 3, 2015

Kanwal Speaks - February 04, 2015 at 12:31AM

इस कदर यह साँसें, हैं महकीं, तेरे पाक़ वजूद से, कि सब खुशबुयें, लगें फींकीं, फ़ानी कायनात की | #कंवल

by अहं सत्य



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