Thursday, August 13, 2015

Kanwal Speaks - August 13, 2015 at 08:47PM

राखनहारा जान एक, औरन टेक त्याग || बांधना तो बाँध तिस, बंधे प्रीत के धाग ||१|| इत डोरी उस बांधिया, टूट जाये सब और || दर दर छूटै भटकना, मिलै कंवल जो ठौर ||२||१|| - कवलदीप सिंघ कंवल
by अहं सत्य

Join at
Facebook

No comments:

Post a Comment