Sunday, April 2, 2017

Kanwal Speaks - April 03, 2017 at 03:51AM

भारत में न्यायाधीश बनाने की पहली शर्त के तौर पर व्यक्ति को इस हद तक खस्सी कर दिया जाता है ताकि वो सरकार के किसी भी गलत निर्णय पर कोई आवाज़​ भी ना निकाल सके । वह अमेरिका की ज़िला-स्तरीय अदालतें तो हो सकती है जो वहाँ के सर्वेसर्वा राष्ट्रपति के आदेशों पर भी अपनी कैंची चला दें और घुटने टेकने पर मजबूर कर दें, पर भारत के सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश भी सरेआम संविधान का उल्लंघन होते देख कर सिर्फ़​ किन्नरों की भांति तालियाँ पीट सकता है, कुछ भी कर नहीं सकता । #कंवल
by अहं सत्य

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