Take and Philosophy of "Kawaldeep Singh Kanwal" on this Universe and happenings in and around.
Thursday, May 4, 2017
ज्ञान वो अनादि अनुभव है जिसकी प्राप्ति की पहली और अंतिम सीढ़ी केवल सहज-प्रयत्नहीनता है; परन्तु विरले ही इस अद्भुत सत्य को जान पाने की क्षमता रखते हैं और बाकी सब जीवन भर कोल्हू के बैल के भांति अनंत प्रयत्नों में लिप्त रहते हुए ज्ञान के पथ पर कदम भर भी आगे नहीं बढ़ पाते, क्यूँकि यह प्रयत्नों का ही चक्र है जो उनके मार्ग का सब से बड़ा अवरोध है, और वो सदैव यह समझने में असमर्थ रहते हैं कि जो ज्ञान किसी भी प्रयत्न से प्राप्त हो सकता है वह कभी भी अनादि नहीं हो सकता क्यूँकि उसका आदि तो साधक का अपना ही प्रयत्न होगा; और इससे भी अद्भुत यह सत्य है कि प्रयत्नों के चक्र से मुक्ति प्राप्त करने के लिये प्रयत्नों के कोल्हू को ही इतना तीव्र घुमाना पड़ता है कि इसी तीव्रता के प्रभाव से यह कोल्हू टूट कर ढेरी हो जाये और साधक रूपी बैल ज्ञान के पथ पर अग्रसर होने के लिये इन प्रयत्नों के चक्र से पूर्णतः मुक्त हो जाये ... - प्रोफैसर कवलदीप सिंघ कंवल - May 04, 2017 at 07:07PM
No comments:
Post a Comment