लघु-कथा - स्त्री-लंपट - कवलदीप सिंघ कंवल "दिल्ली राज्य-सरकार के एक (पुरुष) मंत्री को फ़र्ज़ी डिगरी केस में पुलिस ने अचानक गिरफ़तार कर धर-पकड़ा..." एक ख़बर । "ठीक है ! पर, केंद्र की एक महिला मंत्री की फ़र्ज़ी डिगरी में कब गिरफ़तारी होगी ? क्या देख के छोड़ रख्खा है अब तक उसे ?", एक सवाल । "देखो ! देखो ! यह एक महिला की गरिमा पर हमला कर रहा है । महिला के खिलाफ़ अशोभनीय टिप्पणी करने वाले को हम छोड़ेंगे नहीं ! पकड़ो इसे !" जवाब । "पकड़ो, पकड़ो ! माफ़ी माँग, माफ़ी ! छोड़ेंगे नहीं तुझे !" एक साथ कई आवाज़ें । चपेड़ें, लातें, घूसे ... और, स्त्री-लंपट समाज में पुरुष के दोयम दर्जे के शहरी होने का एहसास !
by अहं सत्य
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