धर्म को धारण करने का सामर्थ्य पुरुषार्थ से आता है, पुरुषार्थ केवल चरित्र से निर्मित होता है, और चरित्र के निर्माण हेतु समस्त जीवन-कार्य मेँ सत्य का ढलना अतिआवश्यक है, इस प्रकार केवल सत्य ही धर्म को धारण करने का सामर्थ्य देता है । #कंवल
by अहं सत्य
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