अलगाववाद और राष्ट्रवाद दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और एक दूसरे को ज़िंदा रखने में सहयोगी भी; दोनों विचारधारायों के सभी कर्ताधर्तायों का एकमेव मूल उद्देश्य जड़वाद और कट्टरता में सामान्य जनमानस को उलझा कर और उनको सदैव पराधीन बनाए रखने के कुटिल लक्ष्य की पूर्ति हेतु उनकी समूची सामूहिक उर्जा को उनके अस्ली अधिकारों की प्राप्ति के लिए एकत्रित न होने दे कर व्यर्थ खचित कर केवल अपने निजी सुखाय और हिताय को ही सर्वोपरि रखना और सर्वप्रथम सिद्ध करना है । #कंवल
by अहं सत्य
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