Friday, February 3, 2017

Kanwal Speaks - February 04, 2017 at 05:13AM

परम अनुभव और निर्वाण का मार्ग कर्मविहीनता से नहीं अपितु कर्मनिर्लेपता से हो कर साक्षी एवं दृष्टा हो जाने से निकलता है; कर्मविहीनता मात्र एक पाखंड है जो कभी घट नहीं सकता, बल्कि अपने होने का झूठा छलावा देता है, शाश्वत सत्यता केवल कर्म में अकर्मण हो कर्म की समस्त लाग से विरक्त भाव को धारण कर कर्मनिर्लेप हो जाने से ही प्रकुटित होती है । #कंवल
by अहं सत्य

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