सराय - प्रोफ़ेसर कवलदीप सिंघ कंवल सराय किसी की भी हो, है तो बस बसेरा ही । कल कोई और इसके मालिक थे, कोई और इस में बसते थे, आज कोई और तख़्तनशीं है । नाम तब कुछ और था, आज के मालिक, नाम बदलकर कुछ और रखते हैं । कल यह भी न रहेंगे, फिर कोई और नाम होंगे, सराय वहीं रहेगी, बसती, उजड़ती, गिरती, और फिर बनती । #कंवल
by अहं सत्य
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