अरे सगी माँ के सोने के गहने चूराने वाले और सगी बहन से नाजायज़ संबंधों के चलते गाँव से मूँह काला कर के निकाले गये नकली-डाकटर, अब धर्म के नाम पे जो पाखंड घोल कर घर में चार कमरों का चकला खोल कर बैठा है तो ध्यान से सुन कि ये जो बोटियों की दलाली खाने का तूँ सपना पाले बैठा वो तेरा ख़्वाब या तो हीरा मंडी लाहौर में पूरा होगा या फिर सोनागाची कलकत्ता में; इसके सिवा तेरी दस लाख की टपकती लार पे तुझे किसी हलकाये कुत्ते की ........... भी नहीं मिलेगी ! (समझ तो तूँ गया ही होगा कि खाली जगह पे क्या भरना है ! क्यूँ ? )
by अहं सत्य
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