माफ़ कर दो शक्तिमान - प्रो. कवलदीप सिंघ कंवल अोह शक्तिमान मैं जानता हूँ कि बेज़ुबान हो तुम कुछ भी कह नहीं सकते अपने पर बीती इस क्रूरता पर और दरिंदगी जो तुम पर बरपाई गई सत्ता के नशे में चूर कुछ आदमज़ात भेड़ियों ने; पर इतना जानता हूँ और जानकर सर भी झुका है मेरा तुमसे माफ़ी की उम्मीद में कि ता-उम्र जिस वतन की हिफाज़त में तुमने अपनी पीठ पर बोझा ढोया इस मुल्क के रखवालों का और अपनी जिन चार टाँगों से ले गए उनको हर चाही मंज़िल की तरफ़ उसी मुल्क के बदज़ात, बेशर्म और घिनौने हुक्मरानों ने तुम से छीन लीं तुम्हारी वो ही टाँगें कि चल भी ना पाओगे अब तुम शायद कभी इन पर खड़ा होकर ... #कंवल
by अहं सत्य
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