भारत के दलितों की सबसे बड़ी त्रासदी यह रही है कि अंबेडकर के बाद इनको कभी कोई ढंग का नेता नहीं मिला जो कि उन के ज़मीनी मसलों को सही ढंग से मुख्यधारा में उठाकर उनको उचित नुमाइंदगी दिला कर उनको समाज में संपूर्ण न्याय दिलवा सके; अगर मिले तो यह मायावती और पासवान छाप ही मिल पाए जिनका संपूर्ण ध्यान और शक्ति सिर्फ अपना खुद का महिमामंडन करने, केवल अपने घरों को भरने और अपने परिवारों की सात पीढ़ियों का जीवन उद्धार करने लायक संग्रह करने में ही केंद्रित रहती है । #कंवल
by अहं सत्य
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