Wednesday, August 31, 2016

Kanwal Speaks - August 31, 2016 at 05:53PM

तरुण सागर और हरियाणा विधानसभा प्रकरण में मेरी और से जो भी अलोचना है वह किसी भी प्रकार से जैन मुनि और उनके अनुयायियों के निजी धार्मिक विश्वास की नहीं बल्कि एक सविधानिक संस्था में उनको एक धार्मिक व्यक्ति के तौर पर उच्चतर सिंहासन पर बिठाकर संवैधानिक पदों को नीचा दिखाने की है, और दूसरी ओर धर्म और धर्म आधारित जघन्य राजनीति के फैलाव का विरोध भी इसमें निहित है, और वहीं साथ ही साथ इस बात पर भी ज़ोर है कि विधानसभा में निर्वस्त्र जाना असल में कानून बनाने वाली इस संविधानिक संस्था का घोर अपमान है, हालांकि यह बात अलग है कि इस देश की संसद और विधानसभायें असल में चरित्रहीन नंगों से ही भरी हुई हैं ! बाकि निज़ी जिंदगी में वे क्या विश्वास रखते हैं, किस प्रकार की धार्मिक पद्धति से जीवन निर्वाह करते हैं, इस से किसी को कोई भी मतलब नहीं होना चाहिए, और न ही कोई इस में हस्तक्षेप करने का कोई भी अधिकार रखता है । #कंवल
by अहं सत्य

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