तरुण सागर और हरियाणा विधानसभा प्रकरण में मेरी और से जो भी अलोचना है वह किसी भी प्रकार से जैन मुनि और उनके अनुयायियों के निजी धार्मिक विश्वास की नहीं बल्कि एक सविधानिक संस्था में उनको एक धार्मिक व्यक्ति के तौर पर उच्चतर सिंहासन पर बिठाकर संवैधानिक पदों को नीचा दिखाने की है, और दूसरी ओर धर्म और धर्म आधारित जघन्य राजनीति के फैलाव का विरोध भी इसमें निहित है, और वहीं साथ ही साथ इस बात पर भी ज़ोर है कि विधानसभा में निर्वस्त्र जाना असल में कानून बनाने वाली इस संविधानिक संस्था का घोर अपमान है, हालांकि यह बात अलग है कि इस देश की संसद और विधानसभायें असल में चरित्रहीन नंगों से ही भरी हुई हैं ! बाकि निज़ी जिंदगी में वे क्या विश्वास रखते हैं, किस प्रकार की धार्मिक पद्धति से जीवन निर्वाह करते हैं, इस से किसी को कोई भी मतलब नहीं होना चाहिए, और न ही कोई इस में हस्तक्षेप करने का कोई भी अधिकार रखता है । #कंवल
by अहं सत्य
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