Thursday, September 18, 2014

Kanwal Speaks - September 18, 2014 at 01:59PM

विचारशीलता का सर्वोच्य पद स्मस्त विचारों के वहन से मुक्ति है, जिसके पश्चात प्राप्ति हेतु कुछ भी शेष नहीं रहता और जिसके समक्ष संपूर्ण प्राप्तियाँ शून्य-सम हो जाती हैं; यही महानिर्वाण की अवस्था है| 

#कंवल

by Kawaldeep Singh



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