ओ गाई सूअर उहनाँ की मसले जिहनां मर्म ख़ुदा न पाई ... हू भेद राम दा लब्ब लित्ता जिहने ओहनू इक्के रंग ख़ुदाई ... हू मैं ही आँ काफ़र कतेब तों मुनकर मलेछ वी मैं ई सदाई ... हू सच आखाँ भावें मिलसी सूली कंवल झूठे यार रूसवाई .. हू #कंवल
by अहं सत्य
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