Friday, December 25, 2015

Kanwal Speaks - December 25, 2015 at 07:36PM

कालजई रचनाएँ कभी पुस्तकों के ढेर से जन्म नहीं लेती अपितु समस्त भार से मुक्त हुए स्वच्छंद मन से निर्मल भाव के झरने के भांति प्रकुटित होती हैं । #कंवल
by अहं सत्य

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