मुझे असल में किसी से भी नफ़रत नहीं है; जहाँ तक हिंदू या फिर ख़ाकी चड्डीधारियों का सवाल है तो मेरा मानना है कि जब तक वो अपने निजी विश्वास केवल निजी स्तर पर रखें तथा किसी और पर उन्हें थोपने या उनका सहारा ले कर किसी और के विश्वास, रहन-सहन, खान-पान और दर्शन में दखलअंदाज़ी न करें, बाकियों की स्वतंत्रता में कोई अड़चन पैदा न करें तो मेरे सहित किसी को भी उनसे आपत्ती नहीं होनी चाहिए । पर सारी कहानी ही यहीं से खराब होती है जब ये ख़ाकी चड्डीधारी अपना विश्वास दूसरों पर वाक्य और हस्त हिंसा के दम पर थोपते हैं, दूसरों की विलक्ष्णता को छल से जज़्ब करने का प्रयास करते है, और दंगई हो दरिंदों की भांति गली-गली दनदनाते घूमते हैं । इसका प्रतिकार होगा, और बस वही हो रहा है । (यही बात मुसंघियों, फ़तवा-गुंडइयों और जिहादियों पर भी बराबर लागू होती है ।) #कंवल
by अहं सत्य
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