Sunday, August 14, 2016

Kanwal Speaks - August 15, 2016 at 07:07AM

आज़ादी की मुबारक़बाद - प्रोफ़ेसर कवलदीप सिंघ कंवल उन पैलेट गन से अंधे और अपाहिज कर दिये गये कश्मीरी बच्चों की माँयों को, नकली एनकाउंटर में मार कर हमेशा के लिए ख़ुर्द कर दिए गए पंजाब के निरदोष मूँछफुट्ट गबरुयों के दिन-रात उड़ीक करते माँ-बाप को, मणिपुर, नागालैंड और उत्तर पूर्व में बलात्कार का शिकार हुईं जनजातीय बच्चियों को, मध्य भारत में नक्सली कहकर बस यूँ ही मार दिए गए अनगिनत नौजवानों के दूध-मुंहे और छोटे बच्चों को, धनबल और सत्ता मद में हुंकार भरते किसी पूंजीपति की मोटर के नीचे कुचले गए सड़क पर सोते बेघर बदनसीब के परिवार को, कोर्ट-कचहरी में सालों साल और पीढ़ी दर पीढ़ी इंसाफ़ के लिए धक्के खाते और गालियां सुनते किसी गरीब और उपेक्षित को, अनगिनत सदियों से तिरस्कार, शोषण और प्रताड़ना झेल रहे किसी गंदी बस्ती में रहने वाले मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित उस दलित समूह को, कर्ज़ के बोझ तले दब कर फांसी पर झूले देश का पेट पालने वाले किसानों के रह गये वॉरिसों को, अपनी थाली में रख्खे बस एक गोश्त के टुकड़े के गाय का मांस होने की अफ़वाह भर पे कत्ल़ कर दिए गए किसी अल्पसंख्यक के परिवारजनों को हो सके तो दे देना अपनी दंभी आज़ादी की मुबारक़बाद क्योंकि मुझ में तो हिम्मत नहीं कंवल इन से आँख भी मिलाने की ... #कंवल
by अहं सत्य

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