आख़िर बार-बार अपमानित, तिरस्कृत, प्रताड़ित, पीड़ित किए जाने के बाद भी दलित इन मंदिरों में जाते क्यों हैं ? अरे भाई, तुम्हारी संख्या ज़्यादा है; छोड़ो इनके मंदिरों और मूर्तियों में बसे काल्पनिक भगवानों को और तुम स्वयं इनका, इनके धर्म और पूजास्थलों का संपूर्ण बहिष्कार कर दो ।
by अहं सत्य
Join at
Facebook
No comments:
Post a Comment