Saturday, February 10, 2018

Kanwal Speaks - February 11, 2018 at 01:31AM

जिस दिन से मैंने अपने जीवन के निर्धारण का अधिकार धर्म और उसकी मर्यादा से छीन कर अपने हाथ में कर लिया है उस दिन से मैं पूर्णतः स्वतंत्र और संप्रभु हो गया हूँ; अब न तो कोई पराधीनता है, न ही ग्लानि, बस आनंद ही आनंद है । #कंवल
by अहं सत्य

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