जिस दिन से मैंने अपने जीवन के निर्धारण का अधिकार धर्म और उसकी मर्यादा से छीन कर अपने हाथ में कर लिया है उस दिन से मैं पूर्णतः स्वतंत्र और संप्रभु हो गया हूँ; अब न तो कोई पराधीनता है, न ही ग्लानि, बस आनंद ही आनंद है । #कंवल
by अहं सत्य
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