ऐसा नहीं है कि अपने विरोधी के समक्ष शस्त्र डाल देना कोई महानता होती है, बल्कि यह तो हर प्रकार से कायरता ही कही जाएगी; और समान्य परिस्तिथियों में आक्रमणकारी विरोधी के विरोध का उचित उत्तर केवल सशक्त विरोध से ही दिया जा सकता है, परन्तु ऐसे किसी भी प्रतिक्रियात्मक विरोध के लिये स्वयं किस स्तर तक जाया जाता है और किस पद्धति का किस सीमा तक प्रयोग किया जाता है, ये सब कारक ही मनुष्य के अपने चरित्र की स्थिरता और सत्यता का निर्धारण करते हैं | #कंवल
by अहं सत्य
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