ब्रह्म का साक्षात स्वरुप हमारे भीतर उपलब्ध है, और भ्रम का समस्त स्रोत्र हमारे बाहर यत्र तत्र सर्वत्र है; परन्तु यह हमारे अज्ञान की प्रकाष्ठा है कि हम अपना समस्त जीवन भ्रम को अपने अंदर पालते हैँ और ब्रह्म को बाहर खोजने मेँ व्यर्थ कर देते हैँ । #कंवल
by अहं सत्य
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