Saturday, November 28, 2015

Kanwal Speaks - November 28, 2015 at 03:48PM

ख़ूब बिक रही है सदभावना कंवल मज़दूर चौंक में शहर के, कागज़ के रंगीन टुकड़ों दे कर भर शरीर जितने चाहो ले जायो | #कंवल
by अहं सत्य

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