गुज़रे साल ने ज़िंदगी के वो तज़ुर्बे दिये जो उस से पहले की पूरी उम्र न सिखा पायी थी कभी, शुक्रिया ऐ बीते साल ... एक साल पहले आज ही के दिन मुझे मिटाने के वास्ते जानलेवा हमला हुया था, पर ख़ुदा का नूर कि आज भी ज़िंदा हूँ, बुलंद हूँ; और बेशक अपनी बिल में वो ज़हर घोल रहा है लेकिन पस्त हैं हौस्ले दुश्मन के !!
by अहं सत्य
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