Monday, May 11, 2015

Kanwal Speaks - May 11, 2015 at 03:15PM

न्यायतंत्र मे मुख्य अवधारणा तंत्र की है, यह ही इसका केंद्रीय विचार है, जिसके ऊपर इस सारी व्यवस्था का निर्माण होता है, जबकि न्याय का स्थान केवल द्वितीय है या शायद कोई भी नहीं । सारी न्याय संरचना का भीतर-गर्भ केवल तंत्र को ही पोषित और संरक्षित करने के उद्देश्य मात्र से कार्य करता है, और दिखावटी न्याय को केवल भीड़ को भरमाने के लिए और शोषितों के किसी भी संगठित विरोध को दबाने के लिए मात्र एक ढकोसले और छुनछुने के रुप मेँ प्रयोग मेँ लाया जाता है, केवल इस लिए कि इसके पीछे का तंत्र यथा-व्यवस्थ कायम रह सके । #कंवल
by अहं सत्य

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