फर्क तो आया है शासन-विधि में... पहले जब घोटालों का खुलासा होता था तब आँकड़े आते थे, बड़े-बड़े, लाखों, करोड़ों, अरबों, खरबों के, पर अब बहुत बड़ा बदलाव आया है, अब भी आँकड़े तो आते हैं, वही लाखों, करोड़ों, अरबों, खरबों के, पर साथ में और आँकड़े भी आने लगे हैं, गवाहों, बयानकारों, जाँचाधिकारियों, पत्रकारों और हर आवाज़ उठाने वालों की एक के बाद एक लाशों के आँकड़े; याद आता है कि किसी ने लाशों के सौदागर कहा था कभी इन्हें, और सीनाजोरी कर सच साबित करने की ठान ली इन्होंने ...
by अहं सत्य
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