Tuesday, July 7, 2015

Kanwal Speaks - July 08, 2015 at 01:48AM

कभी बाजे घना कंवल चना न थोथा कहीं ऐसे, खालीपन में मक्कारी भर छुपी हुयी है । यह मुहब्बत के चेहरे दानिशमंदी के चोगे, नकाब दर नकाब हस्ती ढकी हुयी है । #कंवल
by अहं सत्य

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