Friday, February 6, 2015

Kanwal Speaks - February 07, 2015 at 11:18AM

ये ज़िदगी जो जिया हूँ जैसे जितनी भी जिया हूँ, अपने असूलों को कर्मों का बना नाख़ुदा देखता हूँ | गरूर से मिलाता हूँ कंवल अपनी आँखों से आँखें, जब कभी भी आईने में अक्स मैं अपना देखता हूँ | #कंवल

by अहं सत्य



Join at

Facebook

No comments:

Post a Comment