इस समय भारतीय समाज में पूँजीवाद बनाम समाजवाद से ज़्यादा बड़ा संकट सांप्रदायिकता, कट्टरता और धार्मिक असहिषणुता है; भारत बंटने की कगार पर पहुँचा दिया गया है, अगर सर्वप्रथम इसे न रोका गया तो हम बहुत जलद ही एक तालिबान, एक आई.एस. की स्थिति में होंगे, जहाँ यह बौद्धिक वर्ग संघर्ष की बातें कुछ महत्व न रख पायेंगी ... #कंवल
by अहं सत्य
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