Friday, February 6, 2015

Kanwal Speaks - February 06, 2015 at 06:38PM

किसी अनाचारी के मुख से दिये गये ग्रंथोपदेश बिलकुल उतने ही आत्मपोषक और आध्यात्मवर्धक हो सकते हैं जितना कि किन्ही विष्टा-लिप्त मलीन हाथों द्वारा पकाया और परोसा गया भोजन स्वास्थ्यवर्धक या शरीर को किसी भी प्रकार से पोषित करने के योग्य हो सकता है | #कंवल

by अहं सत्य



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