Wednesday, April 15, 2015

Kanwal Speaks - April 16, 2015 at 08:51AM

यह बारिश भी अब यूँ हो गई है बाग़ी, एक झटके में खोले सब समता की खुमारी । किसी घर चाय पे बन रहें हैं पकौड़े, कहीं ज़हर खा लेने की बस हो गई त्य्यारी । #कंवल

by अहं सत्य



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