Take and Philosophy of "Kawaldeep Singh Kanwal" on this Universe and happenings in and around.
Saturday, April 25, 2015
Kanwal Speaks - April 25, 2015 at 05:59PM
वो जंगल नदिया कुदरत वो अविरल हवायो-पानी, दोहा हमने ये सब कुछ और सब को पहुंचाई हानि । कंवल कुदरत का दस्तूर राख़ से जन्म पुनह: लेना, मिटा देना सब कुछ और फ़िर नयी जीवन कहानी । #कंवल
by अहं सत्य
No comments:
Post a Comment