नोचे हुए पंखोँ को तुम 'गर चाहो तो सजावट के लिए अपनी दीवारोँ पर टांग सकते हो और अपनी वहशी ज़हनियत और क़िरदार का सरेआम मुज़ाहरा कर सकते हो, पर यह हमेशा याद रखना कि कभी भी तुम उनसे अपनी ख़ुद की परवाज़ नहीं भर सकते, क्योंकि वो तो केवल अपने ख़ुद के, हक़ के, परों से ही भरी जा सकती है । #कंवल
by अहं सत्य
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